किसी ने सत्य ही कहा है कि अच्छी पुस्तकें जीवन्त देव प्रतिमाएँ हैं, जिनकी अध्ययन रूपी आराधना एवं उपासना से प्रकाश व उल्लास मिलता है। प्रस्तुत पुस्तकें आरोग्य आपका विषय वस्तु, भाषा, व्याकरण, चित्र, उदाहरण सहित सभी तथ्यों से परिपूर्ण है। इसके प्रसंग व उदाहरण इतने सरल और सहज है कि अध्ययनकत्र्ता को लगता है कि वह पढ नहीं बल्कि चलचित्र देख व समझ रहा है। जन-जन को आरोग्य प्राप्त करने और न केवल आरोग्य अपितु अध्यात्म के बारे में पुस्तक के पृष्ठ 188 से 203 तक जो कुछ लिखा उसका एक-एक शब्द धारणयोग्य व मननयोग्य है। इस पुस्तक को मैंने न जाने कितनी बार पढ़ डाला है, हर बार कुछ न कुछ नया पाया। जितनी बार पढ़ा, जिज्ञासा और बढ़ी। लेखक होने के नाते मैं इस तथ्य से परिचित हूँ कि अच्छा लिखने के लिये पर्याप्त अनुभव, गहन अध्ययन, विषय और भाषा पर गहन पकड़ आवश्यक है। कितनी हैरत की बात है कि आज का यह तथाकथित मानव आधुनिक चिकित्सा की चकाचौन्ध में अपना सर्वत्र लुटाने पर तुला है, उसे न तो खाने के नियम पता है न पानी के और तो और उसे ढंग से श्वास लेना भी नहीं आता, न ढंग से चलना, न बैठना आता है। और तो और वह रोगी होता है अपने कारणों से और स्वस्थ होना चाहता है प्रकृति के विपरीत, हिंसात्मक साधनों को अपनाकर आधुनिक चिकित्सा द्वारा। भला बबूल का बीज बोकर आम कैसे प्राप्त कर सकते हैं?
प्रस्तुत पुस्तक का यूं तो हर अध्याय प्रभावी है परन्तु सबसे प्रभावी है पृष्ठ 27 से 34 तक श्रीमान् लेखक का स्वकथन जिसका एक-एक वाक्य और शब्द चिन्तन योग्य है। आपका यह कथन किसी को दुःख देकर सुख और शान्ति नहीं मिल सकती। यह प्रकृति का शाश्वत नियम भी है। इसलिये कर्मों को भोगते समय नहीं, कर्मो को करते समय भी उसके फलों से नहीं बचा जा सकता। पृष्ठ 105 पर श्वसन का सही तरीका, पृष्ठ 108 पर जल और स्वास्थ्य तथा भोजन में भाव का प्रभाव भी आश्चर्यजनक लगा। सत्य तो यह है कि इतनी साधारण बातें इस असाधारण पुस्तक से जान पया। प्रस्तुत पुस्तक मात्र 360 पृष्टों या 177 चित्रों का संकलन नहीं वरन हर स्वास्थ्य प्रेमी के घर में रखने का धर्म ग्रंथ है। मेरा सौभाग्य है कि मैंने ऐसे सम्माननीय लेखक को विभिन्न शिविर में सुना, देखा व परखा। आपने जो कुछ कहा या लिखा उसमें तनिक भी अन्तर नहीं है, आपकी कथनी व करनी समान है। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड पाठ्यक्रम समिति का सदस्य होने के नाते मेरा प्रयास रहेगा कि प्रस्तुत पुस्तक के कुछ अध्याय कक्षा नवमीं एवं दसवीं में स्वास्थ्य शिक्षा में सम्मिलित हों ताकि स्वास्थ्य का प्रकाश व सर्वागीण विकास के वास्तविक लक्ष्य की प्राप्ति हो सके।
-अनिल कुमार सांखला M.Sc.(Phy.), M.Ed., CLC
सदस्य एवं लेखक माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान पाठ्यक्रम समिति, 297,पावटा बी रोड़, जोधपुर (राज.)